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Ram Mandir : बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक पूरी कहानी

अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्धारित है।

Ram mandir

इस महत्वपूर्ण घड़ी में, सभी देशों की नजरें नहीं केवल भारतीयों के प्रति हैं, बल्कि पूरे विश्व की भी एक आकंक्षा है। रामलला की मूर्ति का चयन अब पूरा हो चुका है और मंदिर को अंतिम स्वरूप देने के लिए दिन-रात काम जारी है। इस प्रणाम प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही, देशभर से लाखों विशेष अतिथियाँ अयोध्या आ रही हैं। कार्यक्रम के समापन के बाद, आम श्रद्धालु भी इस ऐतिहासिक राम मंदिर को विस्तार से देखने का सुख उठा सकेंगे। राम मंदिर की यह यात्रा न केवल एक धार्मिक महत्वपूर्णता रखती है, बल्कि इसमें एक कथा और भूमिका भी है। शुरुआत हुई है रामलला की मूर्ति के पूजन के साथ, और अब यह नई शुरुआत है जो एक नए युग की शुरुआत को सूचित कर रही है।

                                                                        बाबरी मस्जिद  से  राम मंदिर  तक पूरी कहानी 

  बाबरी मस्जिद का निर्माण

1528 में, मुगल सम्राट कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद की नींव रखी और इसे नामकरण भी किया

पहली बार कोर्ट पहुंचा मामला

1885 में, महंत रघुवरदास ने पहली बार मामला अदालत में पहुंचाया। उन्होंने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।

रामलला की मूर्ति प्रकट हुई

1949 में, विवादित ढांचे के बाहर, केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति प्रकट हुई। इसके बाद, उस स्थान पर लोग पूजा करने लगे।

पूजा के अधिकार के लिए मुकदमा

गोपाल सिंह विषारद ने फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर करके पूजा के अधिकार की मांग की थी। इसी केस के बाद हिंदुओं को मंदिर में पूजा-अर्चना का अधिकार मिला था।

मूर्तियां रखने लिए मुकदमा

परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा और मूर्तियों को रखने की लिए फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। परमहंस के इस कदम से राम मंदिर के आंदोलन को नई धार मिली।

निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया।

वक्फ बोर्ड ने भी किया मुकदमा

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कब्जे को लेकर 1981 में मुकदमा दायर किया।

हिंदुओं को पूजा करने की मिली अनुमति

1 फरवरी, 1986: स्थानीय अदालत ने स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट से भी हिंदू पक्ष को राहत

14 अगस्त, 1989: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

बाबरी विध्वंस

6 दिसंबर, 1992: विवादित ढांचे को ढहा दिया गया। इसके बाद राम मंदिर के लिए आंदोलन ने और गति पकड़ी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा मामला

अप्रैल 2002: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

30 सितंबर, 2010: हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बांटने का फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट के फैसले पर ‘सुप्रीम’ रोक

9 मई, 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन बराबर हिस्सों में बांटने के फैसले पर रोक लगाई।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू

8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।

संवैधानिक पीठ का गठन

2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।

रोजाना सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित

6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनवाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया।

राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला

09 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्री राम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया

 

By Rahul

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