Pongal 2024: पोंगल का अर्थ होता है “उबालना” या “फूलना”, जिससे समझा जाता है कि यह त्योहार समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है. पोंगल, भारतीय राज्य तमिलनाडु का एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है. जो साल के पहले महीने में मनाया जाता है. यह एक प्रकार का हार्वेस्ट फेस्टिवल है.इसका धार्मिक महत्व है. पोंगल एक धन्यवादी त्योहार है जो भूमि और उसके दाताओं के प्रति कृतज्ञता का अभिवादन करता है. यह एक समृद्धि और कृषि से जुड़ा हुआ त्योहार है. पोंगल में भूमि की पूजा होती है, जिससे उससे अच्छी फसलें और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस त्योहार में किसान अपनी मेहनत का फल भगवान को अर्पित करता है.पोंगल का आयोजन मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा के रूप में भी किया जाता है. सूर्य देवता को समर्पित होने वाला यह त्योहार उसकी कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है.इसे मुख्यतौर पर परिवार और समुदाय के साथ मनाया जाता है जो सामाजिक एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है. मान्यता है कि पोंगल के दिन से ही तमिल नववर्ष की शुरुआत हो रही है.बता दें कि इस त्योहार का पौराणिक महत्व भी है. दरअसल पोंगल का नाम एक पौराणिक किस्से से आया है, जिसमें भगवान शिव ने अपनी गाय को एक बूंद अर्पित की थी, जिससे त्योहार का नाम ‘पोंगल’ हुआ. चलिए जनते हैं इससे जुड़ी 10 रोचक बातें…
पौराणिक महत्व: पोंगल का नाम एक पौराणिक किस्से से आया है, जिसमें भगवान शिव ने अपनी गाय को एक बूंद अर्पित की थी, जिससे त्योहार का नाम ‘पोंगल’ हुआ.
मीठा पोंगल: पोंगल के प्रमुख भोजन में ‘मीठा पोंगल’ शामिल है, जो चावल, जगरी, घी, और मूंग दाल से बनता है.
मकर संक्रांति के साथ सम्बंध: पोंगल त्योहार को मकर संक्रांति के साथ मनाया जाता है, जो सूर्य की देवता की पूजा के लिए जाना जाता है.
जले किचन की रचना: त्योहार के दौरान लोग नए चुल्हे का उद्घाटन करते हैं, जिसे ‘जले किचन’ कहा जाता है, और वहां पर पोंगल बनाते हैं.
जल कूड़ा (कूंड़ा): पोंगल बनाने के लिए जल कूड़ा (कूंड़ा) इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें पानी उबाला जाता है और चावल और दाल को उबाला जाता है.
कोलम रंगों की सजावट: त्योहार के दौरान, घरों के बाहर कोलम बनाने का परंपरागत रूप से अनुसरण किया जाता है, जिसमें रंगों की सजावट होती है.
मट्टी की पत्तियां: पोंगल के दौरान, घरों की दीवारों और द्वारों पर मट्टी की पत्तियां लगाई जाती हैं, जिससे घर को सौंदर्यपूर्ण बनाया जाता है.
दान और धर्म: पोंगल का त्योहार दान और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें लोग दरिद्रों को भोजन और आवश्यक सामग्री देते हैं.
गोवर्धन पूजा: कुछ स्थानों पर, पोंगल के दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है, जिसमें गौवंश की पूजा और गौशाला में दान किया जाता है.
कन्नु पोंगल और मत्स्य पंडिगई: त्योहार के इस दौरान लोग ‘कन्नु पोंगल’ और ‘मत्स्य पंडिगई’ भी बनाते हैं, जो स्वादिष्ट और परंपरागत होते हैं.
पोंगल एक रंगीन और उत्साहभरा त्योहार है जो भारतीय सांस्कृतिक के महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाता है.